Wednesday 19 June 2013

समय के कालचक्र में फंसे शाहरूख


इन दिनों चक दे इंडिया के कबीर खान (शाहरूख खान) का वो डॉयलॉग याद आ रहा है जो फिल्म में उन्होंने भारतीय हॉकी टीम को प्रेरित करने के लिए सुनाया था। उन्होंने समय की परिभाषा इतने अच्छे ढंग से समझाया कि वो चार लाइनें रील लाइफ से निकलकर रियल लाइफ में भी प्रेरणा श्रोत बन गई। लेकिन आज ये कैसा कालचक्र है कि कल तक जो समय के मूलभूत सिद्धान्तों को समझा रहा था आज वो खुद ही समय के कालचक्र में फंस गया, और वो भी उस अपराध के लिए जो भारत में जघन्य अपराधों की श्रेणी में आता है। दरअसल कहा जा रहा है कि शाहरूख खान ने सरॉगसी की मदद से होने वाले बच्चे के लिंग परीक्षण की जांच करवाई है। शाहरूख खान इन दिनों मीडिया के उस शिकंजे में फंस चुके हैं, जिस शिकंजे में फंसकर बड़े-बड़े राजनेताओं के घोटाले सामने आ रहे हैं। मीडिया समाज का आईना है। अब ऐसे आइने में उनकी शक्ल काली नजर आने लगी है। शाहरूख खान और उनकी पत्नी गौरी को तीसरे बच्चे की ख्वाहिश अब महंगी पडती दिख रही है। अगर ऐसा है तो देश में जो सजा एक आम आदमी को मिलती है उन्हें भी मिलनी चाहिए।

बरेली में प्रसिद्ध मरकजी दारूल इफ्ता दरगाह आला हजरत ने शाहरूख खान के खिलाफ फतवा जारी कर दिया है। उन्होंने शाहरूख को शरीयत का गुनहगार ठहराया है। साथ ही दारूल इफ्ता ने सरॉगसी से बच्चा पैदा करने को भी हराम करार दिया है। फतवे में शाहरूख खान के साथ ही बच्चा पैदा करने वाली औरत को भी तौबा की सलाह दी गई है। हालांकि सरोगेट मदर का कानून हमारे देश में है। लेकिन भ्रूण में लिंग की जांच करवाने का कानून हमारे देश में नहीं है और यह एक जघन्य अपराध की श्रेणी में है। और अगर इस बात की पुष्टि हो गई कि शाहरूख खान ने ऐसा किया है तो उन्हें इसकी सजा भुगतनी पड़ेगी। हालांकि पूरे मामले की जांच पड़ताल चल रही है।

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